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प्रतियोगिता # तेरा मेरा रिश्ता

मुक्त छंद
तेरा मेरा रिश्ता

 नहीं कोई रक्त संबंधी
 नहीं कोई अपने हो 
लगते हो मन को फिर भी 
अपनों से भी बढ़कर तुम
  ना साथ रहते हो हर क्षण
 ना दूर होते हो क्षण भर को मेरे विचारों की परिधि से।
 तुम्हारी उपस्थिति है सुख का पर्याय साथी
 तुम बिन ह्रदय का हर कोना हो जाता है खाली सा
 जीवन की रिक्तियों को भर दिया है तुमने
 तुम्हारे बिना जिंदगी में कमी सी थी उस इंसान की 
जिसके सामने हर बात बेबाकी से मैं कह सकूँ
 जो पढ़ ले मन को आवरण से ढका होने पर भी 
मौन की भाषा को समझ ले अक्षरशः
  सुलझा सके जीवन की सभी समस्याओं को
 मेरे दुखों को कम कर दे खुशियों में करके उत्तरोत्तर वृद्धि
 जो तन पर चाहे मेरे न रखे अधिकार
 किंतु जिस का आधिपत्य सहर्ष स्वीकार करता हो मेरा अंतर्मन।
 जो मेरी आँखों में आँसू की एक बूँद आने से पहले ही पोंछ दे उन्हें अपने स्नेह- हस्त से
 हाँ वह मीत ...साथी...सहचर तुम ही तो हो मेरे
जिसके होने  से  ही पुलकित रहता है मेरा मन।
जिसके ना होने की कल्पना मात्र से सिहर उठता है तन।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।

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2 Comments

खूबसूरत और प्रेममय प्रस्तुति

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Reena yadav

02-Aug-2023 12:27 AM

👍👍

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